ये मेरे कदम कहाँ जा रहे
मुझे नहीं मालूम
न मंज़िल का पता, न डगर की खबर
बस बढ़ते जा रहे
बढ़ते ही जा रहे
ठहरना कभी जाना नहीं
कहना मेरा माना नहीं
सफर लंबा तय करना है
पर जाना कहाँ पता नहीं
रास्ता जाना पहचाना लगता है
झुंझला फिर भी जाता है
लगे कभी सुनसान, कभी अनजान
कभी लगे जैसे पुरानी पहचान
छूटे निशान पाँव के जो देखे
लगा जैसे यहाँ किसी का बसेरा है
आहट सुनी फिर कदमों की
मुड़ कर देखा तो कुछ नज़र न आया
एहसास हुआ आखिर
निशान भी अपने, आहट भी अपनी
हम थे खड़े वहीं के वहीं
बस कदम चलते जा रहे
मुझे नहीं मालूम
न मंज़िल का पता, न डगर की खबर
बस बढ़ते जा रहे
बढ़ते ही जा रहे
ठहरना कभी जाना नहीं
कहना मेरा माना नहीं
सफर लंबा तय करना है
पर जाना कहाँ पता नहीं
रास्ता जाना पहचाना लगता है
झुंझला फिर भी जाता है
लगे कभी सुनसान, कभी अनजान
कभी लगे जैसे पुरानी पहचान
छूटे निशान पाँव के जो देखे
लगा जैसे यहाँ किसी का बसेरा है
आहट सुनी फिर कदमों की
मुड़ कर देखा तो कुछ नज़र न आया
एहसास हुआ आखिर
निशान भी अपने, आहट भी अपनी
हम थे खड़े वहीं के वहीं
बस कदम चलते जा रहे