Sunday, 6 December 2015

रंग और एहसास


ज़िंदगी के रंग हैं जितने, जीवन के एहसास हैं उतने

कहते हैं लोग, लाल है रंग प्यार का
एक अजीबो ग़रीब एहसास का
कहीं से सुना, पीला है रंग दोस्ती का
फ़िक्र वाले जज़्बात का
हर रंग के अलग हैं मायने, हर एहसास के अपने फ़साने
ज़िंदगी के रंग हैं जितने, जीवन के एहसास हैं उतने


काला सफ़ेद रंग हैं ऐसे, जो हर रंग में छिपे होते हैं
ख़ुशी और गम वैसे ही, हर एहसास में बसे होते हैं
सात रंगो के साथ आने से, इंद्रधनुष बन जाता है
चंद पल साथ बिताने से, यादगार लम्हा जुड़ जाता है
फूलों में नए रंग लगें हैं सजने, अरमान नए लगे हैं जगने
ज़िंदगी के रंग हैं जितने, जीवन के एहसास हैं उतने


रंग न हो तो, जीवन लगे फ़ीका
मानो जैसे किसी का महबूब रूठा
रंगो के बिना, तस्वीर अधूरी रह जाती है
एहसास ब्याँ न करें, बातें अधूरी रह जाती हैं
रंग से जुदा नज़राने, जैसे बिना साज़ के तराने
ज़िंदगी के रंग हैं जितने, जीवन के एहसास हैं उतने