सरसराती नदिया का पानी
करता है अपनी मनमानी
समुद्र से मिले, कभी झरने में खिले
धीमे तो कभी तेज
मीठा तो कभी खारा
कुछ ऐसी ही है
जीवन की कहानी
कही न जाए जुबानी
फूलों की मुस्कराहट
लाये खुशियों की आहट
पर क्या कभी किसी ने सोचा
कैसे ये बढ़ते हैं
काँटों के बीच उभरते हैं
सुख दुःख से सजी
कुछ ऐसी ही है
जीवन की कहानी
कही न जाए जुबानी
करता है अपनी मनमानी
समुद्र से मिले, कभी झरने में खिले
धीमे तो कभी तेज
मीठा तो कभी खारा
कुछ ऐसी ही है
जीवन की कहानी
कही न जाए जुबानी
फूलों की मुस्कराहट
लाये खुशियों की आहट
पर क्या कभी किसी ने सोचा
कैसे ये बढ़ते हैं
काँटों के बीच उभरते हैं
सुख दुःख से सजी
कुछ ऐसी ही है
जीवन की कहानी
कही न जाए जुबानी