Thursday, 17 October 2019

सिखाती हैं वो अक्सर मुझको

पड़ पड़ किताबें बहुत कुछ सीखा,
सफलता की सीडी में काम भी आया,
इज़्ज़त पाई, नाम कमाया,
लेकिन .....
जीने का सलीका तो मेरी माँ ने सिखाया ||

कहती हैं वो अक्सर मुझसे,
जीवन में तुम बहुत आगे बढ़ना, पर पिछले रास्ते कभी न भूलना,
हर पल नई ऊंचाई को चूना, पर कदम सदा जमीं पर रखना,
भगवान ने तुम्हें ऊँचा उठाया है,
किसी की मदद कर सको, इस काबिल बनाया है,
इस बात को कभी न भूलना, अपने फ़र्ज़ से कभी न चूकना ||

बताती हैं वो अक्सर मुझे,
कभी किसी को कमज़ोर न समझना,
कोई तुम्हें कमजोर समझे, ऐसा कभी होने न देना,
कोई बात बुरी लगे तो, बेशक कह देना,
पर मन में मैल कभी न रखना,
जब किसी को समझना हो तो, उसकी जगह पे खुद को रखना,
कुछ बातें उसकी सुनना, कुछ बातें अपनी कहना ||


सिखाती हैं वो अक्सर मुझको,
रिश्तों की अहमियत कभी न खोना, इन्हें सदा संजो के रखना,
छोटा हो या बड़ा,  प्यार से  सबका दिल जीतना,
ज़िन्दगी की उलझनों से, टेढ़े मेढ़े रास्तों से,
ऊंची नीची राहों से, कभी न घबराना,
जहाँ भी जाना, अपने निशां छोड़ के आना ||


क्या कहूँ उसके बारे में,
जिसने कभी डांटा, तो कभी गले से लगाया,
गलती की मैंने तो प्यार से समझाया,
ख़्वाब देखे बहुत मैंने,
पूरा उसने करके दिखाया,
ज़िन्दगी जीने का ढंग, माँ मैंने तुझसे है पाया ||