चाहतें तो बहुत थी, लगाव भी था,
पर किस्मत में मेरी तेरा साथ न था |
पर किस्मत में मेरी तेरा साथ न था |
चंद ग़लतफ़हमियों की वजह से हमारा घरोंदा टूट गया,
ज़िन्दगी भर का साथ था जो, एक पल में छूट गया |
कोशिशों तो बहुत की, पर सब नाकामयाब हुआ,
हालात कुछ ऐसे हुए, मेरी सीधी बात का भी तेरे दिल पे वार हुआ |
कभी कुछ कहा नहीं तूने, तो मैंने भी कुछ सुना नहीं,
जो तेरे दिल में था, दिल में रह गया,
कैसे जानूँ मैं उस एहसास को, जो तेरी ख़ामोशी में बह गया |
दिमाग कहता है भूल जो सब, आगे पूरी ज़िन्दगी पड़ी है,
पर कैसे निकाल फेकूँ उस तस्वीर को, जो मेरे दिल में बसी है |
अगर कभी आए तुझे याद मेरी, एक दस्तक दे देकर देखना,
कभी बढ़ाये थे कदम मैंने, इस बार तू बढ़ा के देखना |