Tuesday, 20 March 2018

कैसे बताऊँ मेरे लिए क्या हो तुम

साँसों की खुशबू, दिल की धड़कन हो तुम
कैसे बताऊँ मेरे लिए क्या हो तुम

तुमको पाया तो, सब कुछ पा लिया मैंने
तेरी बाहों में, घर अपना बना लिया मैंने
कुछ और पाने की, अब मेरी तमन्ना नहीं
बस इक तेरे सिवा, और कुछ खोने का डर नहीं
कोई नहीं तुम सा, बहुत ही ख़ास हो तुम
कैसे बताऊँ मेरे लिए क्या हो तुम

तू चले जिस राह पर, कदम से कदम मिलाऊँगी मैं
बिन कोई सवाल किये, साथ सदा निभाऊंगी मैं
शुक्रगुज़ार हूँ खुदा की, जिसने मुझे तुमसे मिलवाया
तू आया मेरी दुनिया में, अंधेरों में भी नूर छाया
चाँद से भी खूबसूरत, सूरज से तेज हो तुम
कैसे बताऊँ मेरे लिए क्या हो तुम 

आँखों से तेरी, एक नया जहान मैंने देखा
जिंदगी को जीने का, नया अंदाज़ मैंने सीखा
यकीनन
हसीन वो दिन था, जब तुझसे पहली मुलाकात हुई
देखते ही देखते, संग तेरे सुहाने सफर की शुरुआत हुई
मेरी जीवन सफर की; सुर, ताल और सरगम हो तुम
कैसे बताऊँ मेरे लिए क्या हो तुम  


No comments:

Post a Comment