Monday, 28 March 2022

क्यों न इस बार

बहुत सुन ली ज़माने की, थोड़ी दिल की सुन लूँ,
दब गए थे जो अरमां, उन्हें फिर से बुन लूँ ,
औरों को चुनने से पहले, अपने आप को चुन लूँ,
क्यों न इस बार, थोड़ी मोहब्बत खुद से कर लूँ || 
 
ख्वाहिशों को कर सजदा, ख़्वाबों में संजो लूँ,
सूरज़ की किरणों को, उम्मीदों में पिरो लूँ,
रंगो में भीगने से पहले, अपने रंग में भिगो लूँ,
क्यों न इस बार, अपने आप की हो लूँ || 
 
सूरत का क्या मोल, सीरत को संवार लूँ,
रब भी आकर पूछे, रूह श्रृंगार लूँ,
नज़रों से पहले, नज़र में उतार लूँ ,
क्यों न इस बार, खुदा का दीदार करूँ !!

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