Friday, 11 November 2011

मुस्कान

मुस्कुराते रहो मुस्कुराते ही रहो
मुस्कुराना ही ज़िन्दगी है
मुस्कान ही है, जो हमारी है
ज़िन्दगी तो बस एक उधारी है
ख़ुशी से अपना क़र्ज़ चुकाता चला जा
हर पल तू मुस्कराता चला जा
न जाने यह पल फिर आये या नहीं
वक़्त न थम जाए कहीं
समय की धारा ने बहते यूँ ही जाना है
इक पल न आराम पाना है
भर दे इस जीवन को मुस्कुराहटों से इतना
कोई कमी न रहने पाए
हर पल हो खुशियों भरा
हर घर हो मुस्कुराहटों से सजा

Saturday, 5 November 2011

खोज मंजिल की

ये राहें कहाँ ले जाएँ मुझे
मंजिल हैं कहाँ मुझे खबर नहीं
बस यूँ ही मैं चलती जा रही
डर है मुझे कहीं खो न जाऊं
झूठी दुनिया में गुम हो न जाऊं
दो शक्ति दिखाओ रौशनी मुझे
इन रास्तों को पहचानना है
अपनी राह खोज निकालना है
मंजिल तक जाना है
अपना मुकाम बनाना है
अब रोके न रुकूँगी
और न ही ठहरुँगी
चलना है, चलते ही जाना है
हर राह को अपना बनाना है