ये कौन सी राह पर हम चल दिए
हाथ दिल पर रख कर यूँ बढ़ लिए
हर राह लगे कभी अनजान सी
और कभी यूँ ही लगे पहचानी सी
कहाँ ये ले जाएँ हमें
कोई तो बता दे हमें
हम तो बस राही हैं राहों के
यूँ खोये हैं इसकी बाहों में
मंजिल नज़र न आती है
जहाँ तक भी नज़र जाती है
बस यूँ ही चल दिए हैं
कहीं तो ये ले जाएंगी हमें
कभी तो उस खुदा से मिलवाएंगे हमें
सब मुश्किलें दूर होंगी तभी
जिंदगी तब सफल होगी मेरी
हाथ दिल पर रख कर यूँ बढ़ लिए
हर राह लगे कभी अनजान सी
और कभी यूँ ही लगे पहचानी सी
कहाँ ये ले जाएँ हमें
कोई तो बता दे हमें
हम तो बस राही हैं राहों के
यूँ खोये हैं इसकी बाहों में
मंजिल नज़र न आती है
जहाँ तक भी नज़र जाती है
बस यूँ ही चल दिए हैं
कहीं तो ये ले जाएंगी हमें
कभी तो उस खुदा से मिलवाएंगे हमें
सब मुश्किलें दूर होंगी तभी
जिंदगी तब सफल होगी मेरी