Monday, 23 March 2015

कभी सोचा न था

कभी सोचा न था
एक ऐसा दिन भी आएगा
तुम मेरी तदबीर बन जाओगी
बुझे हुए जीवन की तक़दीर बन जाओगी
कोरे कागज़ पे बैठे बैठे
तुम्हारी तस्वीर बनाने लगा हूँ
हैरान हूँ खुद पे
क्या मैं सच में तुम्हें चाहने लगा हूँ
कभी सोचा न था
एक ऐसा दिन भी आएगा
इस कदर तुम्हारा जादू चल जाएगा

आसमां से पूछूँ , धरती से पूछूँ
हवाओं से पूछूँ, घटाओं से पूछूँ
तेरी चंचल अदाओं से पूछूँ
क्यूँ मुस्कुराने को दिल करे
जब से मिला हूँ तुमसे
हर दम गाने का दिल करे
कभी सोचा न था
एक ऐसा दिन भी आएगा
बावला सा मैं हो जाऊंगा

कलियों सी नाज़ुक हो
मेरे खुदा की इबादत हो
काँटा कोई तुम्हें छूए कभी
दर्द मुझे होता है
कैसे बताऊँ मैं
चोट लगे तुझे, दिल मेरा रोता है
कभी सोचा न था
एक ऐसा दिन भी आएगा
मेरा सब कुछ तेरा हो जाएगा

काश कि ये हसरत पूरी हो
और तू मेरी बाहों में हो
फिर चाहे तू कुछ भी कहे
दूर इक पल भी जाने ना दूँगा
ओ जान मेरी, परेशान न हो
सदा तुझे पलकों पे सज़ा के रखूँगा
कभी सोचा न था
एक ऐसा दिन भी आएगा
सपना सलोना सच हो जाएगा




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