Monday, 6 December 2021

जीना सीख लिया

तेरा मेरा साथ था जो,  
पल भर में छूट गया |
गलतफहमियों की दीवारें बनी,
घरोंदा टूट गया ||

और किसी से क्यूँ शिकवा करूँ मैं,
जब तू ही समझ न पाया |
जो मेरे दिल में था,
उसको पढ़ न पाया ||

छोड़ दी अब बातें पुरानी,
अब उनसे क्या लेना |
जुदा हुए रस्ते हमारे,
कुछ नहीं अब कहना ||
 
याद रखना पर इतना तुम,
इक दिन ऐसा होगा | 
याद करोगे तुम मुझको,
मुझको तू याद न होगा | 
 
भुला कर मैंने यादें तेरी ,
आगे है कदम बढ़ाया |
बिन तेरे जीना भी अब,
मैंने है सीख लिया |
हाँ हाँ सीख लिया,
जीना सीख लिया,
अब मैंने सीख लिया || 

 
 

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