Thursday, 27 January 2022

जैसे ढूँढती हूँ मैं

जैसे ढूँढती हूँ मैं, तू भी मुझे ढूँढता होगा,
मन की गहराईओं में मुझे टटोलता होगा,
बेखबर तू मुझसे, बेखबर मैं तुझसे,
बेखबर तू मुझसे, बेखबर मैं तुझसे,
मुख़्तलिफ़ है अपने रास्ते,
मिलेंगे इक दिन, खुशनुमा ये सफर होगा,
सफर का तू हमसफ़र होगा,
जैसे ढूँढती हूँ मैं, तू भी मुझे ढूँढता होगा,
मन की गहराईओं में मुझे टटोलता होगा || 

तू ही आफ़ताब, तू ही महताब,
तू ही आफ़ताब, तू ही महताब,
ज़ुस्तज़ू में तेरी देखे कई ख्वाब,
क़ुरबत में तेरी, मुकम्मल जहां होगा,
जुबां पे फिर तेरा ही नाम होगा,
जैसे सोचती हूँ मैं, तू भी मुझे सोचता होगा,
मन की गहराईओं में मुझे टटोलता होगा || 
 
रूबरू हूँ तुझसे, तेरा दीदार करूँ,
रूबरू हूँ तुझसे, तेरा दीदार करूँ,
इज़तिरार का अपने इकरार करूँ,
शब-ओ-रोज़, बातों का सिलसिला होगा,
कभी न थमने वाला, उल्फ़त का काफिला होगा,
जैसे पुकारती हूँ मैं, तू भी मुझे पुकारता होगा,
मन की गहराईओं में मुझे टटोलता होगा ||

रिश्ता हो ऐसा, कोई फरमाइश न हो,
रिश्ता हो ऐसा, कोई फरमाइश न हो,
बेरुखी की कोई गुंजाइश न हो,
थोड़ा रूठना थोड़ा मनाना, बहुत मुस्कुराना होगा,
मुस्कानों  से सज़ा अपना आशियाना होगा,
जैसे चाहती हूँ मैं, तू भी मुझे चाहता होगा,
मन की गहराईओं में मुझे टटोलता होगा ||


Thursday, 13 January 2022

शुकराना

उल्फ़त का गुलिस्तां हो तुम,
मेरे लिए खुदा का फरिश्ता हो तुम,
दिल-ए-उदास को फिर से हंसाया,
ना उम्मीदी में उम्मीद का दीपक जलाया,
शुकराना कैसे करूँ,
शुकराना कैसे करूँ, अल्फ़ाज़ हो गए गुम,
दुआ है दिल से, हमेशा आबाद रहो तुम || 


Wednesday, 5 January 2022

जीने की ख़ुशी है

जीने की ख़ुशी है, मरने का गम नहीं,
एक तेरे सिवा, और कोई गम नहीं || 

जीने की ख़ुशी है, मरने का गम नहीं,
तेरा नक़ाब उतर गया, अब कोई भ्रम नहीं || 

जीने की ख़ुशी है, मरने का गम नहीं,
खुद से मोहब्बत करना, कोई जुर्म तो नहीं || 
 
 

Sunday, 2 January 2022

इत्तेफ़ाक़

इत्तेफ़ाक़ ने इत्तेफ़ाक़ को,
इत्तेफ़ाक़ ने इत्तेफ़ाक़ को, कहा ये इत्तेफ़ाक़ से,
इत्तेफ़ाक़ थे तुम,
इत्तेफ़ाक़ थे हम,
इत्तेफ़ाक़ से तेरा आना,
और चुपचाप चले जाना,
इस आने जाने की बीच,
इस आने जाने की बीच, न जाने क्या हुआ इत्तेफ़ाक़ से,
पास आने वाले दूर हो गए,
जन्मों के वादे चकनाचूर हो गए,
हाथों में हाथ न रहा,
थामने वाला साथ न रहा,
ये सब देखकर,
ये सब देखकर, इत्तेफ़ाक़ भी गहरी सोच में पड़ गया,
क्यूँ कैसे कब हो गया,
अब बस अर्ज़ी है इत्तेफ़ाक़ से, 
अब बस अर्ज़ी है इत्तेफ़ाक़ से,
फिर ऐसा कभी न करना,
किसी से साथ इत्तेफ़ाक़ न करना  ||