Saturday, 25 May 2013

ख्वाब और ख्याल

सपनों में, ख्वाबों में, ख्यालों में
तेरा ही दीदार करता हूँ
तुझे ही देखा करता हूँ
चाहत है तू मेरी
बस इतना कहना चाहता हूँ

बेशक सपनों में सही
तू मिलने तो आती है
क्यों तू इस दुनिया से
इतना घबराती है
इतना शरमाती है
भला हो उस नींद का
जो तेरा मुखड़ा दिखा जाती है

सपनों में, ख्वाबों में, ख्यालों में
तेरा ही दीदार करता हूँ

ख्यालों में मेरे तू रहती है
ख्वाबों में सजती है
साँसों में महका करती है
सपनों में बोला करती है
फिर कभी कुछ नहीं कहती तू
सिर्फ दिल की धड़कन में धडकती तू

सपनों में, ख्वाबों में, ख्यालों में
तेरा ही दीदार करता हूँ

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