आँखें तेरी कुछ कहती हैं, इशारों इशारों में बातें करती हैं
करती हैं मोहब्बत का इज़हार
चुपके से मुझे देखती हैं, हर पल मेरा पीछा करती हैं
आँखें तेरी कुछ कहती हैं, इशारों इशारों में बातें करती हैं
पागल बना दिया तेरी नशीली आँखों ने
आँखें बंद करूँ तो तेरी आँखें दिखाई देती हैं
ओ माही मेरे, उठते बैठते इनका ही दीदार करता हूँ
इश्क मैं इतना तुझसे करता हूँ
सोहनीये ओ सोहनीये, डूबा रहना चाहता हूँ इनमें सदा
खो के इनमें जीना चाहता हूँ
दूर से ही निहारा करती हैं, इशारों इशारों में बातें करती हैं
कितनी मासूम, कितनी भोली भाली हैं, चंचल और नादान हैं
कुछ भी तो छिपा नहीं सकती, हैं एक खुली किताब
हर एहसास दिल का बयाँ करती हैं, कोई भी बात ना इनसे छिप पाई
हर राज़ खोल देती हैं, इशारों इशारों में बातें करती हैं
ये आँखें तेरी कुछ कहती हैं मुझसे, दूर से ही निहारा करती हैं मुझे
पलकें बिछाए राह तकती हैं बरसों से, इशारों इशारों में बातें करती है मुझसे
करती हैं मोहब्बत का इज़हार
चुपके से मुझे देखती हैं, हर पल मेरा पीछा करती हैं
आँखें तेरी कुछ कहती हैं, इशारों इशारों में बातें करती हैं
पागल बना दिया तेरी नशीली आँखों ने
आँखें बंद करूँ तो तेरी आँखें दिखाई देती हैं
ओ माही मेरे, उठते बैठते इनका ही दीदार करता हूँ
इश्क मैं इतना तुझसे करता हूँ
सोहनीये ओ सोहनीये, डूबा रहना चाहता हूँ इनमें सदा
खो के इनमें जीना चाहता हूँ
दूर से ही निहारा करती हैं, इशारों इशारों में बातें करती हैं
कितनी मासूम, कितनी भोली भाली हैं, चंचल और नादान हैं
कुछ भी तो छिपा नहीं सकती, हैं एक खुली किताब
हर एहसास दिल का बयाँ करती हैं, कोई भी बात ना इनसे छिप पाई
हर राज़ खोल देती हैं, इशारों इशारों में बातें करती हैं
ये आँखें तेरी कुछ कहती हैं मुझसे, दूर से ही निहारा करती हैं मुझे
पलकें बिछाए राह तकती हैं बरसों से, इशारों इशारों में बातें करती है मुझसे
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