उड़ जाऊं इन हवाओं में
मैं भी इक पंछी बन के
खो जाऊँगी इन घटाओं में
बरसूँगी बादल बन के
चंचल प्राणी सी विचरुंगी मैं
अपने ही दिल की रानी बन के
दिल में उमंगें भरी हैं आज
एक नया एहसास जागा है
फिकर नहीं है कोई अब
एक नई तरंग छाई है
छू लूंगी आसमां को पतंग के जैसे
न आऊँगी किसी की पकड़ में ऐसे
मेरे दिल पे एक सरूर छाया है
मन मेरा हर्षाया है
कोई बंदिश नहीं
अब सिर्फ खुशहाली है
दिल मेरे तू उड़ान भरता जा
तेरी हर बात निराली है
मैं भी इक पंछी बन के
खो जाऊँगी इन घटाओं में
बरसूँगी बादल बन के
चंचल प्राणी सी विचरुंगी मैं
अपने ही दिल की रानी बन के
दिल में उमंगें भरी हैं आज
एक नया एहसास जागा है
फिकर नहीं है कोई अब
एक नई तरंग छाई है
छू लूंगी आसमां को पतंग के जैसे
न आऊँगी किसी की पकड़ में ऐसे
मेरे दिल पे एक सरूर छाया है
मन मेरा हर्षाया है
कोई बंदिश नहीं
अब सिर्फ खुशहाली है
दिल मेरे तू उड़ान भरता जा
तेरी हर बात निराली है
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